‘दिल्ली मज़दूर यूनियन’ और 'वज़ीरपुर कारखाना मज़दूर यूनियन’ के संयुक्त बैनर तले आज ‘माँगपत्रक आन्दोलन’ की शुरुआत कर दी गयी. पहले दिन अभियान वज़ीरपुर के ओद्योगिक इलाके और उसके साथ लगते रिहायशी झुग्गी-बस्ती में चलाया गया. ‘दिल्ली मज़दूर यूनियन’ के संयोजक अजय स्वामी ने बताया कि ‘माँगपत्रक आन्दोलन’ के समर्थन में दिल्ली के तमाम ओद्योगिक और मज़दूरों के रिहायशी इलाकों में यह अभियान चलाया जाएगा. दिल्ली के एक-एक मज़दूर तक अपनी बात पहुंचाते हुए मज़दूरों को माँगपत्रक आन्दोलन के साथ जोड़ा जायेगा. देश की राजधानी दिल्ली की चमक-दमक के पीछे जिस मज़दूर आबादी की मेहनत और खून-पसीना लगा है आज उसे ख़ुद खड़ा होकर अपनी आवाज़ बुलन्द करनी होगी और जो वायदे अरविन्द केजरीवाल की सरकार ने दिल्ली के मज़दूरों के सामने किये हैं उन्हें सरकार ख़ुद नहीं पूरा करने वाली बल्कि मज़दूरों को अपनी फ़ौलादी एकजुटता और जुझारू संघर्ष के दम पर इन अधिकारों को हासिल करना होगा क्योंकि चुनावी वायदे तो सभी सरकारें करती आयी हैं किन्तु ये वायदे जल्द ही भुला दिये जाते हैं किन्तु यदि कोई पार्टी इतने ठोस रूप में ऐसे वायदे करती है जैसा ‘आप पार्टी’ ने किया है तो मज़दूरों को जल्द से जल्द दबाव बनाकर इन किये गये चुनावी वायदों को पूरा करवाना चाहिए.
‘वज़ीरपुर कारखाना मज़दूर यूनियन’ के संयोजक सनी सिंह ने बताया कि वजीरपुर ओद्योगिक इलाके के हालात दिल्ली के तमाम ओद्योगिक इलाकों में से सबसे बुरे हैं. कारखानों में न तो कोई श्रम कानून लागू होता है और झुग्गी बस्ती के हालात तो बेहद दयनीय हैं. फैक्ट्रियों का तेजाबी पानी आये दिन झुग्गी में भरा रहता है. हर दिन फैक्ट्रियों में कोई न कोई दुर्घटना होती रहती है किन्तु मालिकों का मुनाफ़ा बदस्तूर जारी है.
एसे में मज़दूर वर्ग के पास श्रम कानूनों को लागू करवाने का एक ही रास्ता है और वह है मज़दूरों की फ़ौलादी एकजुटता. मज़दूर माँगपत्रक आन्दोलन की इस लड़ाई में वजीरपुर के मज़दूर दिल्ली के अपने मज़दूर भाइयों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर लड़ेंगे और आने वाली 6 फरवरी को भारी संख्या में दिल्ली सचिवालय पर दस्तक देंगे. प्रचार अभियान के संयोजकों ने बताया कि फिलहाल प्रचार अभियान का मकसद एक-एक मज़दूर तक अपनी बात पहुँचाना तो है ही साथ में आन्दोलन हेतु वालंटियर जुटाना भी है. वजीरपुर के मज़दूरों ने प्रचार टीम से अपनी एकजुटता जाहिर की और आन्दोलन को अपना पूरा समर्थन दिया.
No comments:
Post a Comment