Thursday, January 30, 2014

बाहरी दिल्‍ली में मांगपत्रक अभियान जोरों पर, बौखलाए 'आप' कार्यकर्ताओं ने दी धमकियां हर जगह अभियान बाधित करने का प्रयास किया, महिला साथियों से गाली-गलौज पर उतारू हुए

दिल्‍ली, 30 जनवरी। मांगपत्रक आन्‍दोलन के तहत दिल्‍ली के मज़दूरों की मांगों को लेकर 6 फरवरी को दिल्‍ली सचिवालय पर मुख्‍यमंत्री से मुलाकात करने की तारीख नज़दीक आने के साथ-साथ अभियान में भी तेजी आ गयी है। उत्तर-पश्चिमी दिल्‍ली के विभिन्‍न इलाकों में उत्तर-पश्चिमी दिल्‍ली मज़दूर यूनियन और स्‍त्री मज़़दूर संगठन के कार्यकर्ता सघन जनसंपर्क व प्रचार अभियान चला रहे हैं। इसी के तहत आज शाहाबाद डेयरी के ई और डी ब्‍लॉक के प्‍लाटों में अभियान चलाया गया। इन अभियानों में बहुसंख्‍यक मेहनतकश आबादी की बढ़ती शिरकत देखकर 'आप' पार्टी के कार्यकर्ता-समर्थक बौखला रहे हैं, और जगह-जगह अभियान को बाधित करने के अलावा गाली-गलौज, धमकी देने का काम कर रहे हैं। वे यहां तक कह रहे हैं कि देखते हैं कि इस गली में या मोहल्‍ले में किसमें इतनी हिम्‍मत है कि वह तुम्‍हारे अभियान में शामिल हो।
आज शाहाबाद डेयरी के अभियान में भी लगभग सभी सभाओं, गलियों में 'आप' के कार्यकर्ताओं-समर्थकों ने यूनियन औरस्‍त्री मज़दूर संगठन की कार्यकर्ताओं से बदतमीजी तक की और एक जगह गाली गलौज भी किया, जिनमें एक-दो जगह तो ये कार्यकर्ता या समर्थक सुबह सुबह शराब पीकर आए हुए थे। अभियान से जुड़े कार्यकर्ता उनसे पहले की ही तरह लगातार अनुरोध करते रहे कि हम लोग जनवादी तरीके से जनता के बीच अपनी बात लेकर जा रहे हैं, जिसका मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल खूब दुहाई देते हैं, आप लोग भी अपनी बात लेकर लोगों के बीच जाइए, हमें तंग करने के तरीके से आप अपनी ही पार्टी के'उसूलों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।  वे अभियान के साथियों से कहने लगे कि आप लोग केजरीवाल को समय नहीं दे रहे हैं। इस पर, साथियों ने उन्‍हें विनम्रतापूर्वक बताया कि केजरीवाल मज़दूरों से किए गए वायदों को पूरा नहीं कर रहे हैं, जबकि डेढ़ महीने बीत चुके हैं और केजरीवाल सरकार मज़दूरों से किए गए वायदों को पूरा करने की कोई निश्चित समयावधि भी नहीं बता रही हैं। इसीलिए, मज़दूरों का यह कर्तव्‍य बनता है कि वे 6 फरवरी को दिल्‍ली सचिवालय पहुंच कर सरकार को इन वायदों पर अमल करने की याद दिलाएं। अभियान के साथियों ने यह भी कहा कि आप पार्टी का तो मुख्‍य नारा ही भ्रष्‍टाचार से मुक्ति का है, लेकिन सबसे ज्‍यादा भ्रष्‍टाचार तो श्रम-विभाग में व्‍याप्‍त है, जिससे दिल्‍ली की लगभग 60 लाख मज़दूर आबादी प्रभावित है। इसको खत्‍म करने के लिए भी सरकार ने कोई ठोस आश्‍वासन नहीं दिया है। लिहाजा इन वायदों की याददिहानी के लिए लाखों मज़दूर 6 फरवरी को दिल्‍ली सचिवालय पर पहुंचेंगे, जैसाकि अरविन्‍द केजरीवाल ने भी यह कहा था कि आप हमें इन वायदों की याद दिलाते रहिए। इसके बावजूद उन्‍होंने बदतमीजी और धमकी देना व गाली-गलौज जारी रखा।
दूसरी ओर, बहुसंख्‍यक मेहनतकश आबादी में यह अभियान काफी लोकप्रिय हो रहा है, और मज़दूर भी स्‍वीकार कर रहे हैं कि एकजुट हुए बिना हमें अपने अधिकार नहीं मिलने वाले। इसी क्रम में, हर अभियान में सैकड़ों लोग 6 फरवरी को दिल्‍ली सचिवालय पहुंचने के लिए अपना नाम-पता  दर्ज करा रहे हैं।




Wednesday, January 29, 2014

केजरीवाल ने मज़दूरों से मिलने से किया इंकार

29 जनवरी। वज़ीरपुर कारखाना मज़दूर यूनियन के नेतृत्व में वज़ीरपुर के मज़दूरों का स्वागत केजरीवाल ने दिल्ली पुलिस के बैरिकैडों से किया। केजरीवाल ने मज़दूरों से मिलने से इंकार कर दिया। परन्तु जब मज़दूर अपनी मांगो पर अडिग रहे और बैरिकेड कि तरफ बढने लगे तब केजरीवाल के दफ्तर ने फरमान दिया कि यूनियन के सिर्फ चार प्रतिनिधि ही केजरीवाल से मिल सकते हैं परन्तु यूनियन के प्रतनिधियों से भी मुख्यमंत्री नहीं मिले और न ही उनका कोई प्रवक्ता, बस सरकारी दफ्तरों सरीखे मज़दूरों के मांगपत्रक पर एक ठप्पा लगा दिया गया। वज़ीरपुर के मज़दूर केजरीवाल से मिलकर अपनी फैक्टरियों और झुग्गियों की हालत के बारे में बताकर उन्हें अपना मांगपत्रक सौंपना चाहते थे परन्तु केजरीवाल मज़दूरों से इतना डर गए कि उन्होंने पुलिस को आगे कर दिया। यूनियन ने एलान किया कि आने वाली ६ फरवरी को जब दिल्ली भर के मज़दूर सचिवालय पहुंचेंगे तब वज़ीरपुर के मज़दूर फिर से अपनी मांगों को लेकर सचिवालय पहुंचंगे और तब दिल्ली पुलिस और उनके बेरिकेड मज़दूरों के सैलाब को नहीं रोक पाएंगे। 





शाहाबाद डेयरी के एफ ब्‍लॉक की झुग्‍गीबस्‍ती में घर-घर जाकर जनसंपर्क

शाहाबाद डेयरी के एफ ब्‍लॉक की झुग्‍गीबस्‍ती में घर-घर जाकर जनसंपर्क

दिल्‍ली, 29 जनवरी। मुख्‍यमंत्री केजरीवाल के पास 6 फरवरी को अपनी मांगे लेकर जाने का समय करीब आने के साथ ही मांगपत्रक अभियान ने भी जोर पकड़ लिया है और घर-घर जाकर संपर्क करने तथा आन्‍दोलन में शिरकत करने की इच्‍छा प्रकट करने वालों के नाम-पते नोट करने का सिलसिला तेज हो गया है। इसी क्रम में आज उत्तर-पश्चिमी दिल्‍ली मज़दूर यूनियन तथा स्‍त्री मज़दूर संगठन के कार्यकर्ताओं ने शाहाबाद डेयरी के एफ ब्‍लॉक की झुग्‍गीबस्‍ती में सघन जनसंपर्क अभियान चलाया और पर्चा-वितरण किया।
इस बस्‍ती की हालत भी अन्‍य झुग्‍गीबस्तियों की तरह ही है, चारों ओर गंदगी फैली रहतीहै, झुग्गियां कच्‍ची हैं, यहां भी रिक्‍शेवाले, ठेलेवाले, दिहाड़ी मज़दूर, कारखाने के मज़दूर, घरों में साफ-सफाई का काम करने वाली स्त्रियां रहती हैं। सुबह कार्यकर्ताओं ने इस झुग्‍गीबस्‍ती के बीचों-बीच जाकर ज़ोरदार नारेबाजी और भाषण देने से आज के अभियान की शुरुआत की। साथियों ने कहा कि हमें केजरीवाल को उनके चुनावपूर्व वायदों को याद दिलाने के लिए और उन्‍हें जल्‍द से जल्‍द पूरा करने का दबाव बनाने के लिए एकजुट होकर लड़ना होगा। सरकार सिर्फ वायदे कर रही है और समितियां बना रही है, जिससे अन्‍य सरकारों की तरह ही समितियां बनाकर इन मांगों को टाला जा सके। हमें चौकस रहना होगा। इसके बाद उपस्थित लोगों को पर्चें बांटने के साथ ही 6 फरवरी को दिल्‍ली सचिवालय जाने के इच्‍छुक मज़दूरों के नाम-पते दर्ज किए गए। फिर स्‍त्री मज़दूर संगठन और उत्तर-पश्चिमी दिल्‍ली मज़दूर यूनियन के कार्यकर्ताओं ने एक-एक घर जाकर लोगों को इस पूरे आंदोलन के बारे में बताया और अपने अधिकारों के लिए एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया। बस्‍ती की व्‍यापक मेहनतकश आबादी ने 6 फरवरी को दिल्‍ली सचिवालय पहुंचने का वायदा किया।







केजरीवाल मजदूरों से डरता है पुलि‍स को आगे करता है।



वजीरपुर औद्योगिक इलाके के मज़दूरों का दिल्ली सचिवालय पर प्रदर्शन।



नई दिल्ली,29फरवरी। दिल्ली मज़दूर यूनियन की ओर से पूरी दिल्ली में चल रहे ‘मज़दूर माँगपत्रक आन्दोलन’ में बुधवार को वजीरपुर कारखाना मज़दूर यूनियन की अगुवाई में वजीरपुर औद्योगिक इलाके के सैंकड़ों मज़दूरों ने ठेका प्रथा खत्म करने, न्यूनतम मज़दूरी लागू करने व अन्य श्रम-क़ानूनों से जुड़ी माँगों को लेकर दिल्ली सचिवालय पर प्रदर्शन किया गया और अपनी माँगों का ज्ञापन मुख्यमन्त्री कार्यालय को सौंपा। दिल्ली मज़दूर यूनियन के अजय ने बताया कि हमारे द्वारा चलाये जा रहा माँगपत्रक आन्दोलन वहीं माँगे उठा रहा है जो आम आदमी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में की है। उन्होने बताया कि मुख्यमन्त्री केजरीवाल ने ठेका प्रथा खत्म करने के मुद्दे पर जो कमेटी गठित करने की बात की है वह मजदूरों के साथ एक बहुत बड़ा विश्वासघात है और आम आदमी पार्टी और केजरीवाल सरकार की असलियत और उनकी पक्षधरता को साफ कर देता है। ऐसी कई कमेटियाँ भाजपा और कांग्रेस के राज में भी बनी थी और उन तमाम कमेटियों का क्या हुआ ये सब जानते हैं। केजरीवाल सरकार द्वारा जिस कमेटी का गठन करने की बात को काफी  प्रचारित किया जा रहा है। लेकिन यह कमेटी शायद इसलिए ही बनाई जा रही है क्योंकि ‘आप’ सरकार की ठेकेदारी प्रथा खत्म करने की कोई मंशा ही नहीं है। ठेकेदारी प्रथा को खत्म करने के लिए दिल्ली सरकार एक विधेयक पारित कर सकती है जोकि दिल्ली में किसी भी स्थाई प्रकृति के काम में ठेकेदारी प्रथा को गैर-क़ानूनी घोषित कर दे। ऐसा विधेयक बनाये जाने के लिए एक महीना का समय काफी था। चूंकि केजरीवाल और उनकी पार्टी को यह करना ही नहीं है इसलिए कमेटियों और समितियों के गठन का शिगूफा दिल्ली के मज़दूरों के सामने फेंका जा रहा है।


 वजीरपुर कारखाना मज़दूर यूनियन के सनी ने कहा कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले, चाहे तो अरविन्द केजरीवाल ठेका-प्रथा विरोधी क़ानून बनाने और मज़दूरों के अन्य श्रम-क़ानून सख़्ती से लागू करवाने का काम पूरा कर सकते है। लेकिन अब ये साफ हो गया है कि आचार-संहिता लागू होने से पहले के इन पन्द्रह दिनों को केजरीवाल सरकार ऐसी ही समितियाँ बनाकर काट देना चाहती है। दिल्ली मज़दूर यूनियन के संयोजक नवीन ने कहा कि अपनी सभी माँगों को मनवाने के लिए दिल्ली के लाखों मज़दूर 6 फरवरी को दिल्ली सचिवालय पर दस्तक देंगे और आचार-संहिता लागू होने से पहले दिल्ली सरकार पर ऐसा विधेयक पारित कराने के लिए सामूहिक दबाव बनायेंगे।
                                                

Monday, January 27, 2014

वज़ीरपुर में रेल की पटरी पटरी चलाया वज़ीरपुर कारखाना मज़दूर यूनियन ने अभियान

27 जनवरी। आज वज़ीरपुर कारखाना मज़दूर यूनियन ने वजीरपुर में दिल्ली-पंजाब रेल पटरी के किनारे बसी झुग्गी शहीद सुखदेव नगर में मांगपत्रक आंदोलन चलाया। न तो वज़ीरपुर की २ लाख से ऊपर आबादी के लिए यहाँ शौचालय की व्यवस्था है और न ही डिस्पेंसरी हैं। रेल की पटरी पर ही यहाँ दुनिया बस्ती है। दिल्ली के उच्च न्यायलय ने इस झुग्गी पर सरकार द्वारा बुलडोजर चढ़ाये जाने पर मज़दूरों को कहा कि वो जगह जगह सरकार की उपयोगी ज़मीन हथिया लेते हैं और उन्हें यहाँ रहने का कोई हक़ नहीं है। जिन्होंने स्वर्ग को बनाया उनकी नरक सरीखी झुग्गियां भी न्यायालय को गैर कानूनी लगता है। 29  जनवरी को वज़ीरपुर के मज़दूर अपनी मांगों को लेकर केजरीवाल को अपना मांगपत्रक देंगे और आने वाली 6  फरवरी को दिल्ली के मज़दूरों की व्यापक लड़ाई में भी कंधे से कन्धा मिलाकर नारा उठाएंगे। 






शाहाबाद डेयरी में मांगपत्रक अभियान द्वारा जुझारू प्रचार

दिल्‍ली, 27 जनवरी। उत्तर-पश्चिमी दिल्‍ली मज़दूर यूनियन तथा स्‍त्री मज़दूर संगठन द्वारा चलाये जा रहे मांगपत्रक अभियान का दस्‍ता आज सुबह शाहाबाद डेयरी के डी-ब्‍लॉक की झुग्‍गी बस्‍ती में पहुंचा। यहां पर ज्‍यादातर स्‍त्री मज़दूर रोहिणी के विभिन्‍न सेक्‍टरों में कोठियों में बतौर घरेलू मज़दूर काम करती हैं, वह भी मामूली तनख्‍वाह पर। पुरुष मज़दूर आबादी बवाना, बादली के कारखानों, रिक्‍शा, ठेला चलाने, निर्माण मज़दूरी आदि का काम करती है। इस मज़दूर बस्‍ती के हालात बेहद नारकीय हैं--चारों ओर गंदगी, बजबजाती नालियां, यहां वहां पड़े कूड़े के ढेर, लोटते सुअर, और इन सबके बीच इन मज़दूर परिवारों के खेलते हुए बच्‍चे। इस तस्‍वीर से  इनके अकथनीय दुखों-तकलीफों और असहनीय यंत्रणा का पता चलता है।
अभियान के कार्यकर्ताओं ने जब बस्‍ती में पहुंच कर अरविन्‍द केजरीवाल द्वारा झुग्‍गीवासियों को पक्‍के मकान देने, न्‍यूनतम मज़दूरी लागू  करने, सभी श्रम कानूनों को लागू करने आदि वायदों पर अमल करने की याद दिलाने के लिए आगामी 6 फरवरी को दिल्‍ली सचिवालय पहुंचने का आह्वान किया तो उपस्थित व्‍यापक मज़दूर आबादी ने इसका पुरजोर समर्थन किया और अपनी मांगों की समर्थन में मज़दूर एकता जिंदाबाद के नारे भी लगाए।
इसी मज़दूर बस्‍ती में आम आदमी पार्टी के कुछ कार्यकर्ताओं ने मांगपत्रक अभियान को बाधित करने की नाकाम कोशिश भी की। वे अभियान के साथियों से कहने लगे कि आप लोग केजरीवाल को समय नहीं दे रहे हैं। इस पर, साथियों ने उन्‍हें विनम्रतापूर्वक बताया कि केजरीवाल मज़दूरों से किए गए वायदों को पूरा नहीं कर रहे हैं, जबकि डेढ़ महीने बीत चुके हैं और केजरीवाल सरकार मज़दूरों से किए गए वायदों को पूरा करने की कोई निश्चित समयावधि भी नहीं बता रही हैं। इसीलिए, मज़दूरों का यह कर्तव्‍य बनता है कि वे 6 फरवरी को दिल्‍ली सचिवालय पहुंच कर सरकार को इन वायदों पर अमल करने की याद दिलाएं। अभियान के साथियों ने यह भी कहा कि आप पार्टी का तो मुख्‍य नारा ही भ्रष्‍टाचार से मुक्ति का है, लेकिन सबसे ज्‍यादा भ्रष्‍टाचार तो श्रम-विभाग में व्‍याप्‍त है, जिससे दिल्‍ली की लगभग 60 लाख मज़दूर आबादी प्रभावित है। इसको खत्‍म करने के लिए भी सरकार ने कोई ठोस आश्‍वासन नहीं दिया है। लिहाजा इन वायदों की याददिहानी के लिए लाखों मज़दूर 6 फरवरी को दिल्‍ली सचिवालय पर पहुंचेंगे, जैसाकि अरविन्‍द केजरीवाल ने भी यह कहा था कि आप हमें इन वायदों की याद दिलाते रहिए।
फिर, स्‍थानीय मज़दूर आबादी ने मांगपत्रक अभियान का समर्थन करते हुए प्रचार कार्य में हिस्‍सेदारी की। इससे 'आप' कार्यकर्ता धीरे-धीरे पीछे हट गए, और अभियान टोली का कारवां आगे बढ़ चला। बाद में, स्‍थानीय लोगों ने मांगपत्रक अभियान में शिरकत करने के लिए व्‍यापक मज़दूर जुटान के लिए बस्‍ती में रात में बैठकें करने पर भी जोर दिया।



Sunday, January 26, 2014

नरेला में मांगपत्रक आंदोलन की बैठक

दिल्‍ली, 26 जनवरी। उत्तर-पश्चिमी दिल्‍ली मज़दूर यूनियन और स्‍त्री मज़दूर संगठन ने आज  नरेला के लेबर चौक पर दिहाड़ी पर खटने वाले मज़दूरों के बीच नारे लगाकर सभा की और मांगपत्रक आन्‍दोलन के तहत 6 फरवरी को दिल्‍ली सचिवालय चलने के अभियान के बारे में बताते हुए, उन्‍हें एकजुट होकर लड़ने का आह्वान किया। इस दौरान पर्चा वितरण होता रहा और उसके बाद मज़दूरों के नाम-पते नोट किए गए। ये मज़दूर बेलदारी, राजमिस्‍त्री, पुताई, खेत मज़दूरी आदि का काम करते हैं और किसी भी प्रकार के श्रम कानूनों से इनका वास्‍ता नहीं रहता।

इसके बाद मांगपत्रक आन्‍दोलन का जत्‍था नरेला औद्योगिक क्षेत्र के पीर बाबा पार्क पहुंचा, जहां 11 बजे उत्तर-पश्चिमी दिल्‍ली मज़दूर यूनियन की बैठक शुरू हुई। इस बैठक में भोरगढ़, शाहपुर गढ़ी, होलंबी कलां, नरेला आदि क्षेत्रों के लगभग ढाई सौ मज़दूरों ने सक्रिय भागीदारी की। बैठक में 6 फरवरी को लाखों की तादाद में दिल्‍ली सचिवालय पहुंचने का प्रस्‍ताव ध्‍वनिमत से पारित हुआ और व्‍यापक मज़दूर जुटान के लिए बड़ी संख्‍या में कारखाना और बस्‍ती केन्द्रित बैठकें करने पर ज़ोर दिया गया। बैठक में सभी साथियों ने इस बात पर सहमति जतायी कि ठेका प्रथा का खात्‍मा, न्‍यूनतम मज़दूरी,  सभी श्रम कानूनों को लागू कराने सहित मज़दूर वर्ग की मुक्ति के लिए एक लम्‍बे जुझारू तथा निर्णायक संघर्ष की ज़रूरत है ताकि मेहनतकश समाज की स्‍थापना की जा सके।
बैठक के बाद यूनियन के कार्यकर्ताओं  और मज़दूर साथियों ने 6 फरवरी को दिल्‍ली सचिवालय चलने के बारे में मांगपत्रक-आन्‍दोलन का पोस्‍टर लगाने का अभियान चलाया। नरेला औद्योगिक क्षेत्र के ए और बी ब्‍लॉक में सैकड़ों की संख्‍या में पोस्‍टर लगाए गए।




वज़ीरपुर कारखाना मज़दूर यूनियन ने चलाया मांगपत्रक आंदोलन

26 जनवरीवजीरपुर में गरम रोला, ठंडा रोला, और स्टील लाइन के मज़दूरों के काम के हालात बेहद दयनीय है. १२-१४ घंटे 2000 डिग्री तापमान पर लोहे को स्टील में ढालते और फिर बर्तन, कीलें, कीपें व स्टील के अन्य पार्ट्स बनाते हैं। फैक्टरियों में आये दिन मज़दूर अपनी उंगलियां या हाथ गवां देते हैं या उनकी मौत हो जाती है, न तो किसी को मुआवजा मिलता है और न ही सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करें जाते हैं। रेलवे लाइन के किनारे बसी हुयी झुग्गियों में फैक्टरियों का एसिड भरा रहता है जो पैर भी खराब करता है और रिस कर पानी की लाईन में भी जाता है। पटरी पर आये दिन किसी बच्चे की पटरी पर कट कर मौत हो जाती है। केजरीवाल और उनके मंत्रिमंडल को इस झकझोर देने वाली सच्चाई से मुखातिब कराने वज़ीरपुर कारखाना मज़दूर यूनियन के बैनर तले मज़दूर आने वाले बुद्धवार, 29 जनवरी को दिल्ली सचिवालय जा रहे हैं।




Thursday, January 23, 2014

कीर्ति नगर और नारायणा में दिल्ली मज़दूर मांगपत्रक आंदोलन



२३ जनवरी। कीर्ति नगर और नारायणा की फैक्ट्रियों के शोर को भेदकर मज़दूरों तक पहुंची दिल्ली मज़दूर मांगपत्रक आंदोलन के नारों की आवाज़!! ६ फरवरी को घेरेंगे केजरीवाल को अपने हकों के लिए!!

Wednesday, January 22, 2014

भोरगढ़ औद्योगिक क्षेत्र पहुंचा दिल्‍ली के मांगपत्रक आन्‍दोलन का जत्‍था

दिल्‍ली, 22 जनवरी। दिल्‍ली के मांगपत्रक आन्‍दोलन का जत्‍था आज सुबह भोरगढ़ औद्योगिक क्षेत्र के उस मोड़ पर पहुंचा जहां से भोरगढ़ गांव के लॉजों में किराए पर रहने वाली मज़दूर आबादी अलग-अलग कारखानों में काम करने के लिए निकलती है। वहां उत्तर-पश्चिमी दिल्‍ली मज़दूर यूनियन व स्‍त्री मज़दूर संगठन के कार्यकर्ताओं ने काम पर निकलने वाले इन मज़दूरों के बीच 6 फरवरी के अभियान का पर्चा बांटा और जनसंपर्क किया। कार्यकर्ताओं ने उन्‍हें चुनाव पूर्व  अरविंद केजरीवाल द्वारा गरीबों-मजदूरों के लिए किए गए वायदों के बारे में बताया, जिनके बारे में उन्‍होंने चुनाव जीतने के बाद चुप्‍पी साध ली है।  यूनियन के साथियों ने इन वायदों की याददिहानी के लिए और उन्‍हें पूरा करने का दबाव बनाने के लिए 6 फरवरी को लाखों की तादाद में दिल्‍ली सचिवालय को घेरने का आह्वान किया।

काम के लिए यहां से गुजरती आबादी को देखकर बरबस ही चार्ली-चैपलिन की फिल्‍म 'मॉडर्न टाइम्‍स' की याद आ जाती है। ये मज़दूर आबादी इक्‍कसवीं सदी में भी दोहरी गुलामी झेलने को मजबूर है और एक तरफ कारखाना मालिकों की गालियों, डांट-फटकार, घूसे-थप्‍पड़ की मार, तो दूसरी तरफ भोरगढ़ गांव के मकान मालिकों के ऑक्‍टोपसी पंजे के बीच फंसे रहने को मजबूर है। यहां के मकान मालिक मनमाने रेट पर बिजली का भुगतान करते हैं तथा अपने घरों में खोली हुई दुकानों से ही राशन व अन्‍य सामान लेने के लिए मजबूर करते हैं। ऐसा ना करने पर मज़दूरों से मकान खाली करवा लेते हैं। कारखाना मालिक तो  उन्‍हें मनमाने तरीके से गुलामों-जानवरों की खटाते ही हैं। दलाल तथा गद्दार ट्रेड यूनियनों की करतूतों से भी यहां की व्‍यापक मज़दूर आबादी निराश-हताश है। इन मज़दूरों के चेहरे पर इस छटपटाहट की शिनाख्‍़त की जा सकती है। बस एक सब्र का बांध है जिसने इनके गुस्‍से को फूटकर धधकते लावे की तरह बहकर बाहर निकलने से रोका हुआ है।

आज सुबह जब यूनियन के कार्यकर्ता उनके बीच पहुंचे तो काम पर पहुंचने की जल्‍दी के बावजूद उन्‍होंने साथियों की बात सुनी, पर्चे लिए और अपने नाम व पते नोट कराए।



Tuesday, January 21, 2014

बाहरी दिल्‍ली की सर्वाधिक उपेक्षित बस्‍ती सेक्‍टर-27, रोहिणी में पहुंचे मांगपत्रक आन्‍दोलन के कार्यकर्ता


दिल्‍ली, 21 जनवरी। उत्तर-पश्चिमी दिल्‍ली की सबसे अलग-थलग, उपेक्षित और संघर्षशील बस्तियों में से एक सेक्‍टर-27, रोहिणी की जे.जे. कालोनी में जब लोग बारिश और ठण्‍ड के बावजूद सिकुड़ते-ठिठुरते अपने-अपने काम पर निकल रहे थे तभी वहां नारों की गूंज से उनके पैर ठिठक गए। कुछ नौजवानों को 'श्रम कानून लागू करो', 'मज़दूर मांगपत्रक आन्‍दोलन', आदि के बैनर टांगे नारे लगाते देख कर वे उनके इर्द-गिर्द जमा हो गए और फिर उनके भाषण को ध्‍यान से सुनते हुए उनसे 6 फरवरी को दिल्‍ली सचिवालय का आह्वान करने वाला पर्चा लेने लगे। दरअसल, आज दिल्‍ली के मजदूर मांगपत्रक आंदोलन के तहत इसी बस्‍ती में प्रचार व जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा था।
स्‍त्री-पुरुष, युवा-वृद्ध सभी उत्तर-पश्चिमी दिल्‍ली मजदूर यूनियन और स्‍त्री मज़दूर संगठन के कार्यकर्ताओं को घेरे हुए थे। कार्यकर्ताओं ने उन्‍हें चुनाव पूर्व  अरविंद केजरीवाल द्वारा गरीबों-मजदूरों के लिए किए गए वायदों के बारे में बताया, जिनके बारे में उन्‍होंने चुनाव जीतने के बाद चुप्‍पी साध ली है।  यूनियन के साथियों ने इन वायदों की याददिहानी के लिए और उन्‍हें पूरा करने का दबाव बनाने के लिए 6 फरवरी को लाखों की तादाद में दिल्‍ली सचिवालय को घेरने का आह्वान किया। 

बताते चलें कि सेक्‍टर-27 की बस्‍ती बरसों से सर्वाधिक उपेक्षित बस्तियों में से एक बनी हुई है। ना तो यहां आने-जाने के लिए सड़क है, ना गंदे पानी की निकासी की व्‍यवस्‍था, ना बच्‍चों के खेलने के लिए पार्क, ना पुलिस चौकी, ना परिवहन के नियमित साधन। यहां रहने वाले मजदूर सुबह टैम्‍पों में भरकर मायापुरी, नारायणा आदि के कारखानों में काम करने जाते हैं, तो कुछ बादली, शाहाबाद डेयरी, बवाना, नरेला, होलंबी कला के उद्योगों में काम करने जाते हैं या आसपास के इलाकों में बेलदारी, पल्‍लेदारी आदि का काम करते हैं। उन्‍होंने इस बात की ताईद की कि किसी भी कारखाने में श्रम कानून लागू नहीं होते और उनके साथ जानवरों जैसा बर्ताव किया जाता है। महिलाओं को तो दोहरी मार झेलनी पड़ती है। उनके लिए कोई सुविधा नहीं होती। लेकिन जिंदा रहने के लिए और अपने बच्‍चे पालने के लिए उन्‍हें यह सब झेलना पड़ता है। यहां,  अपराध भी बड़े पैमाने पर होता है, और आए दिन मज़दूरों तक से छीना-झपटी, उन्‍हें चाकू-ब्‍लेड मारने की घटनाएं होती रहती हैं, हत्‍या होना भी आम बात हो गयी है। यहां के एक निवासी ने बताया कि कुछ ही दिन पहले सरेआम उनके बेटे की हत्‍या कर दी गयी, लेकिन रिपोर्ट दर्ज होने के बावजूद  दो महीने से हत्‍यारों को पकड़ा नहीं गया है। उनका कहना है कि पुलिस हर बार यही कह कर टरका देती है तफ्तीश जारी है। उनके अलावा वहां मिलने वाले सभी लोगों ने कहा कि कारखानों, दुकानों  आदि में मालिकों, ठेकेदारों के जुल्‍म सहते हैं, और बस्‍ती में अपराधियों के खौफ के साये में जीते हैं।  
अपने जीवन और काम की बदतर स्थितियों को बदलने के लिए आक्रोशित बस्‍तीवासियों ने इस अभियान का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि वे 6 फरवरी को दिल्‍ली सचिवालय जरूर पहुंचेंगे। इसके बाद सैकड़ों मजदूरों ने अपने नाम व पते दर्ज करवाए।










Sunday, January 19, 2014

शाहाबाद डेयरी और रोहिणी सेक्टर-26 में चला मांगपत्रक अभियान

दिल्ली । उत्तीर-पश्चिमी दिल्ली मज़दूर यूनियन और स्त्री मज़दूर संगठन ने 'मांगपत्रक आन्दोलन' के तहत रोहिणी के सेक्टर-26 और शाहाबाद डेयरी के बी ब्लॉद में अभियान चलाकर पर्चे बांटे, जनसभाएं की और घर-घर जाकर संपर्क किया। कार्यकर्ताओं ने सभी को मुख्यमंत्री केजरीवाल द्वारा चुनाव से पहले मजदूरों के लिए किए वायदे याद दिलाने के लिए 6 फरवरी को दिल्ली सचिवालय पर इकट्ठा होने का आह्वान किया।
उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में 18 और 19 जनवरी को शाहाबाद डेयरी और रोहिणी सेक्टर-26 में चले अभियान के तहत जगह-जगह जनसभाएं करके पर्चा वितरण, जनसंपर्क किया गया। हर जगह गरीब-मजदूर आबादी ने बताया कि उन्हें श्रम कानून के तहत अन्य सुविधाएं तो मिलना दूर रहा, न्यूनतम मज़दूरी तक नहीं मिलती है। इन अभियानों में महिलाओं ने भी 6 फरवरी को दिल्लीय सचिवालय पर चलने के लिए अपने नाम लिखवाए और खुद कहा कि जब तक हम मिलकर लड़ेंगे नहीं तब तक हमें अधिकार नहीं मिलने वाले और मालिक लोग हमें कीड़े-मकोड़े से ज्यातदा नहीं समझते। कार्यकर्ताओं ने भी 'दिल्ली  मांगपत्रक अभियान' के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि यह आपकी लड़ाई है और इसके लिए आपको एकजुट होना होगा। न्यूनतम मजदूरी, ई.एस.आई.,  पी.एफ. मिलना हमारा अधिकार है और हम इसे लड़कर लेंगे। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने भी चुनाव जीतने से पहले कई वायदे  किए थे, जैसे कि उन्होंने एक वायदा यह किया था कि ठेकाप्रथा समाप्त करेंगे। इसलिए, यह जरूरी है कि हम उन्हें ये वायदे याद दिलाएं और इन्हें  जल्द से जल्द लागू करने का दबाव  बनाएं।









Wednesday, January 15, 2014

पीरागढ़ी में मज़दूर मांगपत्रक आंदोलन

वैसे तो पीरागढ़ी दिल्ली में जूतों के उत्पादन के लिए मशहूर है। एक्शन, कैम्पस से लेकर छोटी बड़ी सैकड़ों जूतों की व गारमेंट की कम्पनियां हैं जो दिल्ली के खाते पीते वर्ग की ज़रूरतों को पूरा करती हैं। परन्तु इन फैक्टरियों में काम करने वाले लाखों मज़दूरों के साथ बर्बर किस्म का शोषण होता है। 'आप' कि राखी बिड़ला खुद मंगोल पूरी क्षेत्र से विधायक हैं पर इन्हे मज़दूरो के उत्पीड़न से कोई फर्क नहीं पड़ता है। 2011 में ही पीरागढ़ी की H-9 फैक्ट्री में सुरक्षा में लापरवाही की वजह से 70 से अधिक मज़दूर जल कर मर गए थे पर प्रशासन मालिक को बचाने में लगा रहा था। यह फिर से दोहराया न जाये इसीलिए उद्योग नगर मज़दूर यूनियन और मंगोलपूरी मज़दूर यूनियन ने मज़दूरों के बीच मज़दूर मांगपत्रक आंदोलन चलाया जिससे कि आने वाली ६ फरवरी को केजरीवाल की सरकार इस बात की गारंटी करे कि पीरागढ़ी के मज़दूर भी अपने हक़ हासिल करें।