नई दिल्ली, 2 जनवरी। दिल्ली मेट्रो रेल
कारर्पोरेशन व ठेका कम्पनियों द्वारा श्रम क़ानूनों के गम्भीर उल्लंघन के
खि़लाफ दिल्ली मेट्रो रेल कामगार यूनियन के बैनर तले सैंकड़ों मेट्रो
कर्मियों ने मेट्रो रेल में ठेका प्रथा समाप्त करने व अन्य मांगों का
ज्ञापन मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को उनके निवास स्थान पर जाकर सौंपा।
मेट्रो कर्मियों ने बताया कि मेट्रो प्रशासन और अनुबन्धित ठेका कम्पनियों
की मिलीभगत के कारण ही यहाँ श्रम-क़ानूनों का पालन नहीं किया जाता। जिसके
चलते मेट्रो कर्मियों के हालात बदतर हो रहे है। आप सभी जानते है कि दिल्ली
मेट्रो रेल दिल्ली की शान है।
दिल्ली मेट्रो रेल कामगार यूनियन
के सचिव अजय ने कहा कि दिल्ली के परिवहन के तौर-तरीके को बदलने और लोगों
को सुरक्षित सार्वजनिक परिवहन उपलब्ध करवाने में दिल्ली मेट्रो की
महत्वपूर्ण भूमिका है। दिल्ली मेट्रो रेल के रखरखाव एवं परिचालन में हजारों
मजदूर और कर्मचारी लगे हैं, जो ठेके पर काम करते हैं। केवल टिकट वेडिंग,
हाउस कीपिंग व सिक्योरिटी में करीब 5000 से अधिक कामगार लगे हुए हैं। लगभग
25 ठेका कम्पनियों 'जैसे ट्रिग, जेएमडी, बेदी एण्ड बेदी, एक्मे व अन्य'
में लगे ठेका मजदूरों की मेहनत-मशक्कत से जो मेट्रो चमचमाती है और प्रतिदिन
17 लाख से अधिक दिल्लीवासियों को उनके गन्तव्य तक पहुँचाती है, उन्हीं
मजदूरों की जिन्दगी को ठेका कम्पनियों ने नारकीय बना रखा है। टोकन देने
वाले तमाम टाम आपरेटरों, सफाई मजदूरों, सिक्योरिटी गार्डों के लिए सरकार
द्वारा तय श्रम कानून भी लागू नहीं होते हैं। वहीं अगर कोई भी मजदूर अपने
हक-अधिकार की बात करता है तो उसे धमकी देकर व अन्य तीन-तिकड़मों से नौकरी
से बाहर निकाल दिया जाता है। क्षेत्रीय श्रमायुक्त केन्द्रीय कार्यालय में
आज भी कई मामले लंबित है। इससे पहले भी न्यूनतम मजदूरी, पी.एफ., ई.एस.आई.
के कई मामलों में ठेका कम्पनियों एवं डीएमआरसी को दोषी पाया गया है।
निश्चित ही लेबर कोर्ट के मुकदमे मेट्रो में फैले श्रम कानूनों के उल्लंघन
की अंधेरगर्दी की की प्रतिनिधि घटनाएं हैं जो मेट्रो रेल में फैले
भ्रष्टाचार को दिखाती हैं।
डीएमकेयू की शिवानी ने कहा कि हम
दिल्ली सरकार व मुख्यमंत्री श्री अरविन्द केजरीवाल से यह निवदेन करने आये
कि ‘आप’ पार्टी ने चुनावी घोषणापत्रा में स्थायी व नियमित कार्यों में ठेका
प्रथा बन्द कराने का जो वायदा किया था उसी वादे का हम याददिहानी कराने आये
क्योंकि उपरोक्त समस्त मजदूर स्थायी प्रकृति के कार्य में संलग्न हैं, और
हम ये उम्मीद करते है कि दिल्ली सरकार तत्काल ठेका मजदूरों पर हो रहे शोषण
के खिलापफ कदम उठायेगी।
मेट्रो रेल के कर्मचारी नवीन ने
बताया कि हमारी मांगे है कि- 1. ठेका प्रथा तत्काल समाप्त करके सभी मजदूरों
को नियमित किया जाए 2. सभी मजदूरों के लिए पी.एफ. व ई.एस.आई. की सुविध
सुनिश्चित की जाए। 3. मजदूरों की सुनवाई के लिए त्रिपक्षीय कमेटी बनाई जाए।
जिसमें मजदूर प्रतिनिधि, प्रबन्धन प्रतिनिधि लेबर अधिकारी शामिल हो।
मेट्रो कर्मियों का यह भी कहना था कि अगर दिल्ली सरकार हमारी कानूनी एवं
न्यायोचित मांगों पर ध्यान न देकर ठेका कम्पनियों के शोषण-उत्पीड़न को बन्द
नहीं करवाते तो हमारे पास आन्दोलन के अतिरिक्त और कोई रास्ता नहीं बचता और
इसकी जिम्मेदार डीएमआरसी प्रशासन और दिल्ली सरकार की होगी।
डीएमआरकेयू के सदस्य व
मेट्रो रेल में काम रहे है पंकज ने कहा कि मेट्रो को दिल्ली की शान कहा
जाता है और यह सच भी है कि मेट्रो दिल्ली वासियों के लिए एक सुविधजनक
परिवहन है। लेकिन इस मेट्रो में हाड़-तोड़ मेहनत करने वाले मजदूरों के लिए
स्वयं मेट्रो प्रबंधन का रवैया असुविधाजनक रहता है। इस प्रदर्शन में
सैकड़ों मेट्रो रेल के कर्मचारियों के साथ कई जन संगठन, यूनियन और मजदूर
कार्यकर्ता शामिल थे।
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