Tuesday, January 21, 2014

बाहरी दिल्‍ली की सर्वाधिक उपेक्षित बस्‍ती सेक्‍टर-27, रोहिणी में पहुंचे मांगपत्रक आन्‍दोलन के कार्यकर्ता


दिल्‍ली, 21 जनवरी। उत्तर-पश्चिमी दिल्‍ली की सबसे अलग-थलग, उपेक्षित और संघर्षशील बस्तियों में से एक सेक्‍टर-27, रोहिणी की जे.जे. कालोनी में जब लोग बारिश और ठण्‍ड के बावजूद सिकुड़ते-ठिठुरते अपने-अपने काम पर निकल रहे थे तभी वहां नारों की गूंज से उनके पैर ठिठक गए। कुछ नौजवानों को 'श्रम कानून लागू करो', 'मज़दूर मांगपत्रक आन्‍दोलन', आदि के बैनर टांगे नारे लगाते देख कर वे उनके इर्द-गिर्द जमा हो गए और फिर उनके भाषण को ध्‍यान से सुनते हुए उनसे 6 फरवरी को दिल्‍ली सचिवालय का आह्वान करने वाला पर्चा लेने लगे। दरअसल, आज दिल्‍ली के मजदूर मांगपत्रक आंदोलन के तहत इसी बस्‍ती में प्रचार व जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा था।
स्‍त्री-पुरुष, युवा-वृद्ध सभी उत्तर-पश्चिमी दिल्‍ली मजदूर यूनियन और स्‍त्री मज़दूर संगठन के कार्यकर्ताओं को घेरे हुए थे। कार्यकर्ताओं ने उन्‍हें चुनाव पूर्व  अरविंद केजरीवाल द्वारा गरीबों-मजदूरों के लिए किए गए वायदों के बारे में बताया, जिनके बारे में उन्‍होंने चुनाव जीतने के बाद चुप्‍पी साध ली है।  यूनियन के साथियों ने इन वायदों की याददिहानी के लिए और उन्‍हें पूरा करने का दबाव बनाने के लिए 6 फरवरी को लाखों की तादाद में दिल्‍ली सचिवालय को घेरने का आह्वान किया। 

बताते चलें कि सेक्‍टर-27 की बस्‍ती बरसों से सर्वाधिक उपेक्षित बस्तियों में से एक बनी हुई है। ना तो यहां आने-जाने के लिए सड़क है, ना गंदे पानी की निकासी की व्‍यवस्‍था, ना बच्‍चों के खेलने के लिए पार्क, ना पुलिस चौकी, ना परिवहन के नियमित साधन। यहां रहने वाले मजदूर सुबह टैम्‍पों में भरकर मायापुरी, नारायणा आदि के कारखानों में काम करने जाते हैं, तो कुछ बादली, शाहाबाद डेयरी, बवाना, नरेला, होलंबी कला के उद्योगों में काम करने जाते हैं या आसपास के इलाकों में बेलदारी, पल्‍लेदारी आदि का काम करते हैं। उन्‍होंने इस बात की ताईद की कि किसी भी कारखाने में श्रम कानून लागू नहीं होते और उनके साथ जानवरों जैसा बर्ताव किया जाता है। महिलाओं को तो दोहरी मार झेलनी पड़ती है। उनके लिए कोई सुविधा नहीं होती। लेकिन जिंदा रहने के लिए और अपने बच्‍चे पालने के लिए उन्‍हें यह सब झेलना पड़ता है। यहां,  अपराध भी बड़े पैमाने पर होता है, और आए दिन मज़दूरों तक से छीना-झपटी, उन्‍हें चाकू-ब्‍लेड मारने की घटनाएं होती रहती हैं, हत्‍या होना भी आम बात हो गयी है। यहां के एक निवासी ने बताया कि कुछ ही दिन पहले सरेआम उनके बेटे की हत्‍या कर दी गयी, लेकिन रिपोर्ट दर्ज होने के बावजूद  दो महीने से हत्‍यारों को पकड़ा नहीं गया है। उनका कहना है कि पुलिस हर बार यही कह कर टरका देती है तफ्तीश जारी है। उनके अलावा वहां मिलने वाले सभी लोगों ने कहा कि कारखानों, दुकानों  आदि में मालिकों, ठेकेदारों के जुल्‍म सहते हैं, और बस्‍ती में अपराधियों के खौफ के साये में जीते हैं।  
अपने जीवन और काम की बदतर स्थितियों को बदलने के लिए आक्रोशित बस्‍तीवासियों ने इस अभियान का पुरजोर समर्थन करते हुए कहा कि वे 6 फरवरी को दिल्‍ली सचिवालय जरूर पहुंचेंगे। इसके बाद सैकड़ों मजदूरों ने अपने नाम व पते दर्ज करवाए।










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