वजीरपुर औद्योगिक इलाके के मज़दूरों का दिल्ली सचिवालय पर प्रदर्शन।
नई दिल्ली,29फरवरी। दिल्ली मज़दूर यूनियन की ओर से पूरी दिल्ली में चल रहे ‘मज़दूर माँगपत्रक आन्दोलन’ में बुधवार को वजीरपुर कारखाना मज़दूर यूनियन की अगुवाई में वजीरपुर औद्योगिक इलाके के सैंकड़ों मज़दूरों ने ठेका प्रथा खत्म करने, न्यूनतम मज़दूरी लागू करने व अन्य श्रम-क़ानूनों से जुड़ी माँगों को लेकर दिल्ली सचिवालय पर प्रदर्शन किया गया और अपनी माँगों का ज्ञापन मुख्यमन्त्री कार्यालय को सौंपा। दिल्ली मज़दूर यूनियन के अजय ने बताया कि हमारे द्वारा चलाये जा रहा माँगपत्रक आन्दोलन वहीं माँगे उठा रहा है जो आम आदमी पार्टी ने अपने घोषणापत्र में की है। उन्होने बताया कि मुख्यमन्त्री केजरीवाल ने ठेका प्रथा खत्म करने के मुद्दे पर जो कमेटी गठित करने की बात की है वह मजदूरों के साथ एक बहुत बड़ा विश्वासघात है और आम आदमी पार्टी और केजरीवाल सरकार की असलियत और उनकी पक्षधरता को साफ कर देता है। ऐसी कई कमेटियाँ भाजपा और कांग्रेस के राज में भी बनी थी और उन तमाम कमेटियों का क्या हुआ ये सब जानते हैं। केजरीवाल सरकार द्वारा जिस कमेटी का गठन करने की बात को काफी प्रचारित किया जा रहा है। लेकिन यह कमेटी शायद इसलिए ही बनाई जा रही है क्योंकि ‘आप’ सरकार की ठेकेदारी प्रथा खत्म करने की कोई मंशा ही नहीं है। ठेकेदारी प्रथा को खत्म करने के लिए दिल्ली सरकार एक विधेयक पारित कर सकती है जोकि दिल्ली में किसी भी स्थाई प्रकृति के काम में ठेकेदारी प्रथा को गैर-क़ानूनी घोषित कर दे। ऐसा विधेयक बनाये जाने के लिए एक महीना का समय काफी था। चूंकि केजरीवाल और उनकी पार्टी को यह करना ही नहीं है इसलिए कमेटियों और समितियों के गठन का शिगूफा दिल्ली के मज़दूरों के सामने फेंका जा रहा है।
वजीरपुर कारखाना मज़दूर यूनियन के सनी ने कहा कि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से पहले, चाहे तो अरविन्द केजरीवाल ठेका-प्रथा विरोधी क़ानून बनाने और मज़दूरों के अन्य श्रम-क़ानून सख़्ती से लागू करवाने का काम पूरा कर सकते है। लेकिन अब ये साफ हो गया है कि आचार-संहिता लागू होने से पहले के इन पन्द्रह दिनों को केजरीवाल सरकार ऐसी ही समितियाँ बनाकर काट देना चाहती है। दिल्ली मज़दूर यूनियन के संयोजक नवीन ने कहा कि अपनी सभी माँगों को मनवाने के लिए दिल्ली के लाखों मज़दूर 6 फरवरी को दिल्ली सचिवालय पर दस्तक देंगे और आचार-संहिता लागू होने से पहले दिल्ली सरकार पर ऐसा विधेयक पारित कराने के लिए सामूहिक दबाव बनायेंगे।
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