दिल्ली । उत्तीर-पश्चिमी दिल्ली मज़दूर यूनियन और स्त्री मज़दूर संगठन ने 'मांगपत्रक आन्दोलन' के तहत रोहिणी के सेक्टर-26 और शाहाबाद डेयरी के बी ब्लॉद में अभियान चलाकर पर्चे बांटे, जनसभाएं की और घर-घर जाकर संपर्क किया। कार्यकर्ताओं ने सभी को मुख्यमंत्री केजरीवाल द्वारा चुनाव से पहले मजदूरों के लिए किए वायदे याद दिलाने के लिए 6 फरवरी को दिल्ली सचिवालय पर इकट्ठा होने का आह्वान किया।
उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में 18 और 19 जनवरी को शाहाबाद डेयरी और रोहिणी सेक्टर-26 में चले अभियान के तहत जगह-जगह जनसभाएं करके पर्चा वितरण, जनसंपर्क किया गया। हर जगह गरीब-मजदूर आबादी ने बताया कि उन्हें श्रम कानून के तहत अन्य सुविधाएं तो मिलना दूर रहा, न्यूनतम मज़दूरी तक नहीं मिलती है। इन अभियानों में महिलाओं ने भी 6 फरवरी को दिल्लीय सचिवालय पर चलने के लिए अपने नाम लिखवाए और खुद कहा कि जब तक हम मिलकर लड़ेंगे नहीं तब तक हमें अधिकार नहीं मिलने वाले और मालिक लोग हमें कीड़े-मकोड़े से ज्यातदा नहीं समझते। कार्यकर्ताओं ने भी 'दिल्ली मांगपत्रक अभियान' के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि यह आपकी लड़ाई है और इसके लिए आपको एकजुट होना होगा। न्यूनतम मजदूरी, ई.एस.आई., पी.एफ. मिलना हमारा अधिकार है और हम इसे लड़कर लेंगे। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने भी चुनाव जीतने से पहले कई वायदे किए थे, जैसे कि उन्होंने एक वायदा यह किया था कि ठेकाप्रथा समाप्त करेंगे। इसलिए, यह जरूरी है कि हम उन्हें ये वायदे याद दिलाएं और इन्हें जल्द से जल्द लागू करने का दबाव बनाएं।
उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में 18 और 19 जनवरी को शाहाबाद डेयरी और रोहिणी सेक्टर-26 में चले अभियान के तहत जगह-जगह जनसभाएं करके पर्चा वितरण, जनसंपर्क किया गया। हर जगह गरीब-मजदूर आबादी ने बताया कि उन्हें श्रम कानून के तहत अन्य सुविधाएं तो मिलना दूर रहा, न्यूनतम मज़दूरी तक नहीं मिलती है। इन अभियानों में महिलाओं ने भी 6 फरवरी को दिल्लीय सचिवालय पर चलने के लिए अपने नाम लिखवाए और खुद कहा कि जब तक हम मिलकर लड़ेंगे नहीं तब तक हमें अधिकार नहीं मिलने वाले और मालिक लोग हमें कीड़े-मकोड़े से ज्यातदा नहीं समझते। कार्यकर्ताओं ने भी 'दिल्ली मांगपत्रक अभियान' के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि यह आपकी लड़ाई है और इसके लिए आपको एकजुट होना होगा। न्यूनतम मजदूरी, ई.एस.आई., पी.एफ. मिलना हमारा अधिकार है और हम इसे लड़कर लेंगे। मुख्यमंत्री केजरीवाल ने भी चुनाव जीतने से पहले कई वायदे किए थे, जैसे कि उन्होंने एक वायदा यह किया था कि ठेकाप्रथा समाप्त करेंगे। इसलिए, यह जरूरी है कि हम उन्हें ये वायदे याद दिलाएं और इन्हें जल्द से जल्द लागू करने का दबाव बनाएं।
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