Friday, February 7, 2014

ठेका प्रथा उन्मूलन विधेयक पारित कराने के लिए दिल्ली सचिवालय पर हज़ारों मज़दूरों का विशाल प्रदर्शन


 ‘आप’ सरकार वायदे से मुकरी, दिल्ली सरकार के श्रम मन्त्री ने कहा कि ठेका प्रथा विरोधी विधेयक से पूँजीपतियों का नुकसान, इसलिए केजरीवाल सरकार नहीं पेश करेगी ठेका उन्मूलन विधेयक
6 फरवरी, नयी दिल्ली- आज दिल्ली मज़दूर यूनियन के बैनर तले करीब 2 हज़ार मज़दूरों ने विशाल प्रदर्शन किया। ये मज़दूर दिल्ली राज्य में एक ठेका प्रथा उन्मूलन विधेयक को पारित कराने की माँग केजरीवाल सरकार से कर रहे थे। इन मज़दूरों को पहले किसान घाट पर बैरीकेड लगाकर रोकने का प्रयास किया गया लेकिन उस बैरीकेड को पार कर मज़दूर सचिवालय के गेट तक पहुँच गये। दोपहर 1 बजे से शाम 6 बजे तक मज़दूरों ने वहाँ धरना दिया। दोपहर करीब 3 बजे के करीब मज़दूरों के विशाल धरना प्रदर्शन को देखते हुए श्रम मन्त्री गिरीश सोनी मज़दूरों को सम्बोधित करने पहुँचे। जब दिल्ली मज़दूर यूनियन के प्रतिनिधियों ने उनसे ऐसा विधेयक पेश करने की माँग की तो उन्होंने पहले यह कहा कि ऐसे विधेयक को पेश नहीं किया जा सकता। जब उन्हें केन्द्रीय एक्ट ‘ठेका मज़दूर कानून, 1971’ के प्रावधानों को पढ़कर सुनाया गया और बताया गया कि यह केन्द्रीय एक्ट बहुत कमज़ोर है तो फिर उन्होंने कहा कि अपने 5 सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल को मिलने के लिए भेजें। लेकिन मज़दूर इस बात पर अड़े रहे कि श्रम मन्त्री गिरीश सोनी ऐसा विधेयक पेश करने का आश्वासन दें। इसके बाद मज़दूर प्रतिनिधियों के प्रश्नों को कोई जवाब नहीं दे पाने के कारण श्रम मन्त्री आनन-फानन में वहाँ से पलायन कर गये। इसके बाद शाम साढ़े चार बजे मज़दूरों का एक प्रतिनिधि मण्डल फिर से गिरीश सोनी से मिलने के लिए सचिवालय के भीतर गया। वहाँ पर गिरीश सोनी ने स्पष्ट शब्दों मे कहा कि ऐसा कानून वह नहीं बनाएँगे क्योंकि उन्हें प्रबन्धन और ठेका कम्पनियों के हितों का भी ख़याल रखना है। इसके बाद जब उन्हें मज़दूर प्रतिनिधियों ने इस विधेयक पर अपनी अवस्थिति स्पष्ट करने की चेतावनी दी तो उन्होंने आधे घण्टे सोचने का वक़्त माँगा। आधे घण्टे बाद जब बातचीत दोबारा शुरू हुई तो गिरीश सोनी ने कहा कि ऐसे विधेयक को तीन-चौथाई बहुमत चाहिए होगा, जो कि उसे नहीं मिलेगा। इस पर मज़दूर प्रतिनिधियों ने कहा कि केजरीवाल सरकार का काम है कि वह यह विधेयक पेश करे। जो भी विधायक इसके विरोध में वोट करता है वह दिल्ली की जनता के सामने बेनक़ाब हो जायेगा और उसके ख़िलाफ़ दिल्ली मज़दूर यूनियन भण्डाफोड़ अभियान चलायेगी। लेकिन सरकार को विधेयक पेश करना ही चाहिए। जब कोई रास्ता नहीं बचा तो श्रम मन्त्री ने सीधे बोल दिया कि चूँकि ऐसे विधेयक से पूँजीपतियों को नुकसान होगा इसलिए वह ऐसा विधेयक नहीं पेश करेगी। जब इसी बात को लिखित में देने की माँग प्रतिनिधि मण्डल ने की तो उन्होंने कहा कि सरकार कुछ भी लिखित रूप में नहीं देती। इस पर मज़दूर प्रतिनिधियों ने भ्रष्टाचार-विरोधी हेल्पलाइन पर फोन कर अपनी शिकायत दर्ज़ कराने का प्रयास किया। लेकिन जैसे ही भ्रष्टाचार-विरोधी हेल्पलाइन के ऑपरेटर को बताया गया कि यह शिकायत श्रम मन्त्री गिरीश सोनी के ख़िलाफ़ है तो उन्होंने कहा कि वह शिकायत दर्ज़ नहीं कर सकते।
दिल्ली मज़दूर यूनियन के सचिव अजय स्वामी ने कहा कि आज केजरीवाल सरकार का चरित्र साफ़ हो गया है। यह पूर्ण रूप से मज़दूर विरोधी है। अपने चुनावी घोषणापत्र में आम आदमी पार्टी ने मज़दूरों से जो-जो वायदे किये थे, वह अब उनसे खुलेआम मुकर रही है। ठेका प्रथा ख़ात्मे के काम से बचने के लिए केजरीवाल सरकार ने एक समिति का गठन किया है जो कि ठेका मज़दूरी पर जाँच करेगी। दिल्ली सरकार के पास पहले ही दिल्ली के ठेका मज़दूरों के बारे में पूरी सूचना है। अब जाँच करने के लिए कुछ भी नहीं है। केजरीवाल सरकार को जो करना था वह यह था कि कमज़ोर केन्द्रीय एक्ट के बरक्स दिल्ली राज्य में एक अलग ठेका प्रथा उन्मूलन विधेयक पारित करवाया जाय। लेकिन इसकी बजाय ‘कमेटी-कमेटी’ का खेल खेला जा रहा है। इसी से पता चलता है कि मज़दूरों से ठेका प्रथा के उन्मूलन का केजरीवाल सरकार का वायदा मज़दूरों के साथ एक धोखा था।
करावलनगर मज़दूर यूनियन की शिवानी ने कहा कि श्रम मन्त्री गिरीश सोनी से वार्ता में आज स्पष्ट हो गया कि केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी को मज़दूरों के वोट चाहिए थे इसलिए ठेका प्रथा उन्मूलन का वायदा ‘आप’ के चुनावी घोषणापत्र में किया गया था। लेकिन आप की सरकार बनते ही दिल्ली के सभी उद्योगपति, ठेकेदार आदि जितनी तेज़ी से ‘आप’ की सरकार का समर्थन कर रहे हैं और आम आदमी पार्टी के सदस्य बन रहे हैं, उसी से पता चलता है कि केजरीवाल सरकार का असली चरित्र क्या है। केजरीवाल सरकार ठेका प्रथा को ख़त्म न करने के प्रति प्रतिबद्ध है। यह मज़दूरों के साथ ग़द्दारी है और उनके साथ धोखाधड़ी है। लेकिन आज का प्रदर्शन एक चेतावनी प्रदर्शन था कि केजरीवाल सरकार आचार संहिता लागू होने से पहले लिखित वायदा करे कि ठेका प्रथा उन्मूलन विधेयक पेश किया जायेगा, वरना आज दो हज़ार मज़दूरों ने सचिवालय के दरवाज़े पर दस्तक दी है, लेकिन एक माह बाद दिल्ली के दसियों हज़ार मज़दूरों को लेकर सचिवालय का गेट जाम किया जायेगा।
उत्तर-पश्चिमी दिल्ली मज़दूर यूनियन की कविता ने कहा कि 16 मार्च को होली के बाद मजदूरों का एक विशाल हुजूम केजरीवाल सरकार का घेराव करेगा और उसे ठेका उन्मूलन कानून पेश करवाने के लिए बाध्य करेगा। दिल्ली के करीब 50 लाख ठेका कर्मचारी इस लड़ाई को जारी रखेंगे और आज का प्रदर्शन महज़ एक शुरुआत है। माँगपत्रक आन्दोलन आने वाले समय में लगातार जारी रहेगा और केजरीवाल सरकार अपने वायदों से भाग नहीं सकेगी। आज के प्रदर्शन में दिल्ली के लगभग सभी औद्योगिक क्षेत्रों से मज़दूरों के प्रतिनिधि आये हैं। लेकिन अगर हमारी माँगें मानी नहीं जातीं तो 16 मार्च के बाद मज़दूर सत्याग्रह की शुरुआत की जायेगी।
उद्योगनगर मज़दूर यूनियन, पीरागढ़ी से आये नवीन ने कहा कि उद्योगनगर के मज़दूर यहाँ यह उम्मीद लेकर आये थे कि केजरीवाल सरकार अपने वायदे के अमल के लिए लिखित आश्वासन देगी। लेकिन इसके उलट केजरीवाल सरकार आज अपने चुनावी वायदे से ही मुकर गयी और स्पष्ट शब्दों में केजरीवाल सरकार के श्रम मन्त्री गिरीश सोनी ने कह दिया कि ठेका प्रथा उन्मूलन कानून नहीं पास कराया जायेगा क्योंकि इससे ठेकेदारों को नुकसान होगा। इसी से केजरीवाल सरकार की असली पक्षधरता का पता चलता है। वह मज़दूरों से वायदे सिर्फ़ इसलिए कर रही थी ताकि उनके वोट पा सकें। और सरकार बनते ही नंगे तौर पर उन वायदों से मुकर रही है। ऐसे में, कांग्रेस, भाजपा और आप में क्या फ़र्क है मज़दूरों के साथ इसी तरह की धोखाधड़ी पिछले 65 वर्षों में कांग्रेस और भाजपा की सरकारों ने की है। और अब आम आदमी पार्टी ने साबित कर दिया है कि वह भी उन्हीं की जमात में शामिल है।
वज़ीरपुर कारखाना मज़दूर यूनियन के सनी ने कहा कि आम आदमी पार्टी के गुण्डे आज के प्रदर्शन की तैयारियों में लगातार बाधा डाल रहे थे, मज़दूरों को डरा-धमका रहे थे। सभी औद्योगिक क्षेत्रों में आप का सदस्य बनने का काम सबसे ज़्यादा कारखाना मालिकों और ठेकेदारों ने किया है। इन्हीं के गुर्गे आज के प्रदर्शन को असफल बनाने के लिए मज़दूरों को काम से निकालने आदि की धमकियाँ दे रहे थे। इसके बावजूद इतनी बड़ी तादाद में मज़दूरों ने पहुँचकर यह साबित किया है कि वह आम आदमी पार्टी के गुर्गों से डरते नहीं है। इसके बावजूद, आज के प्रदर्शन में केजरीवाल सरकार के रुख़ से साफ़ हो गया है कि उसने मज़दूरों से धोखा करने का मन बना लिया है। इसकी कीमत आम आदमी पार्टी को आने वाले लोकसभा चुनावों में चुकानी होगी क्योंकि मज़दूर इस धोखे के बाद आम आदमी पार्टी को कचरापेटी में पहुँचायेगा।
प्रदर्शन के अन्त में, सभी दो हज़ार मज़दूरों ने एक शपथ ली। इस शपथ के अनुसार दिल्ली के समस्त मज़दूर आम आदमी पार्टी का पूर्ण बहिष्कार करेंगे, आने वाले चुनावों में अपने इलाकों से आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों को खदेड़कर बाहर करेंगे, पूरी दिल्ली में केजरीवाल सरकार के ख़िलाफ़ भण्डाफोड़ अभियान चलाया जायेगा, और 24 मार्च को दिल्ली के दसियों हज़ार मज़दूरों के साथ सचिवालय का गेट जाम किया जायेगा। दिल्ली मज़दूर यूनियन के राकेश ने कहा कि 24 मार्च की तिथि आरज़ी तौर पर तय है। अगर लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस अपना समर्थन वापस लेती है, तो भी आम आदमी पार्टी की सरकार जून से पहले नहीं गिर सकती है। ऐसे में, अगले प्रदर्शन में केजरीवाल सरकार को बाध्य किया जायेगा कि वह अपना वायदा पूरा करे। अगर एक महीने के भीतर केजरीवाल सरकार दिल्ली मज़दूर यूनियन और दिल्ली के सभी मज़दूरों को ऐसा विधेयक पेश करने की लिखित प्रतिबद्धता ज़ाहिर नहीं करती तो अगला प्रदर्शन सचिवालय के गेट को जाम करते हुए किया जायेगा। शाम को 6 बजे धरना समाप्त किया गया। इस प्रदर्शन में दिल्ली मज़दूर यूनियन के अलावा करावलनगर मज़दूर यूनियन, दिल्ली मेट्रो रेल ठेका कामगार यूनियन, वज़ीरपुर कारखाना मज़दूर यूनियन, उद्योगनगर मज़दूर यूनियन, मंगोलपुरी मज़दूर यूनियन, उत्तर-पश्चिमी दिल्ली मज़दूर यूनियन, और स्त्री मज़दूर संगठन ने भागीदारी की।

Wednesday, February 5, 2014

6 फरवरी,11 बजे चलो दि‍ल्‍ली सचि‍वालय। मेहनतकश ने जान लि‍या है हक लेना ठान लि‍या है।

5 फरवरी। आज करावल नगर, खजूरी खास और वजीरपुर में दि‍ल्‍ली मजदूर यूनि‍यन ने रिक्शे पर माइक टांग कर मजदूर मांगपत्रक आन्‍दोलन चलाया।

















Tuesday, February 4, 2014

उत्तर-पश्चिमी दिल्‍ली में सड़कों पर उतरे प्रचार-वाहन

दिल्‍ली, 4 फरवरी। उत्तर-पश्चिमी दिल्‍ली मज़दूर यूनियन तथा स्‍त्री मज़दूर संगठन द्वारा चलाए जा रहे मज़दूर मांगपत्रक आंदोलन के तहत आज इस इलाके के समूचे औद्योगिक क्षेत्र में बंदी का आह्वान करते हुए व्‍यापक मज़दूर आबादी से अपनी विभिन्‍न मांगों के समर्थन में आगामी 6 फरवरी को लाखों की संख्‍या में दिल्‍ली सचिवालय पहुंचने का आह्वान किया गया। इसमें मुख्‍यत: समयपुर बादली औद्योगिक क्षेत्र, बवाना औद्योगिक क्षेत्र, नरेला-भोरगढ़ औद्योगिक क्षेत्र आदि शामिल हैं। समयपुर बादली में संजय कालोनी, सूरजपार्क, गड्ढा बस्‍ती तथा राजा विहार में और नरेला औद्योगिक क्षेत्र में विभिन्‍न ब्‍लॉकों, शाहपुर गढ़ी आदि क्षेत्रों में प्रचार-वाहन को बैनर, पोस्‍टर, लाल झण्‍डों से सजाकर माइक लगाकर सघन और गहन प्रचार चलाया गया।
इस दौरान जगह-जगह वाहन को रोककर जनसभाएं भी आयोजित की गयीं जिसमें बड़ी संख्‍या में मज़दूर आबादी शामिल हुई तथा आंदोलन के समर्थन में हाथ उठाए और नारे भी लगाए। ठेका प्रथा के खात्‍मे, न्‍यूनतम मज़दूरी लागू करने, सभी श्रम कानूनों केा लागू करने, झुग्‍गीवासियों को पक्‍के मकान देने आदि मांगों के साथ न्‍यूनतम नागरिक सुविधाओं को हासिल करने तथा अपने हकों-अधिकारों के संघर्ष के लिए आक्रोशित मज़दूर आबादी द्वारा समर्थन मिलने से मांगपत्रक आंदोलन व्‍यापक से व्‍यापकतर होता जा रहा है। इसीलिए, 6 फरवरी को बड़ी संख्‍या में मज़़दूर आबादी के दिल्‍ली सचिवालय पहुंचने की उम्‍मीद है।




Monday, February 3, 2014

समयपुर बादली के लेबर चौक और संजय कॉलोनी में प्रचार

दिल्‍ली, 3 फरवरी। आज मांगपत्रक अभियान के तहत उत्तर-पश्चिमी दिल्‍ली मज़दूर यूनियन और स्‍त्री मज़दूर संगठन ने संयुक्‍त रूप से समयपुर, बादली के लेबर चौक और संजय कॉलोनी में प्रचार-अभियान चलाकर लोगों को इस पूरे आंदोलन के बारे में बताया और एकजुट होने का आह्वान किया। संजय कॉलोनी की संकरी गलियों की गंदी नालियों के किनारे बनी झुग्गियों में जगह-जगह सभा की गयी और '6 फरवरी को दिल्‍ली सचिवालय चलो'  के पर्चे बांटे गए। इससे पहले अभियान की शुरुआत लेबर चौक से की गई। कल रात को दीवार लेखन किया गया था, तो आज प्रचार अभियान के बाद जगह-जगह पोस्‍टर लगाए गए।
 लेबर चौक पर काम की तलाश में निकले मज़दूर सुबह कुछ नौजवानों को सिर पर और बाजुओं पर लाल पट्टी बांधे नारे लगाते देखकर पहले तो कुछ चौंक-से गए, लेकिन जब साथियों ने अपनी बात रखी और पर्चा बांटना शुरू किया तो चारों और मज़दूर इकट्ठा हो गए और पुरजोर तरीके से मज़दूरों की एकजुटता पर जोर दिया। इसके बाद यूनियन और स्‍त्री मज़दूर संगठन के कार्यकर्ता संजय कॉलोनी पहुंचे, जहां के हालात अन्‍य किसी भी उपेक्षित बस्‍ती से बहुत अलग नहीं थे। यहां भी बीच-बीच में सभाएं की गयीं और घर-घर जाकर '6 फरवरी को दिल्‍ली सचिवालय चलो' अभियान के बारे में बताया गया। आज भी प्रचार अभियान के दौरान 'आप' के दो कार्यकर्ताओं से झड़प हुई जिससे साथियों ने विनम्रतापूर्वक अपनी बात कहकर टाल दिया। प्रचार अभियान के बाद कई मज़दूरों को साथ लेकर साथियों ने पूरे इलाके में मांगपत्रक आंदोलन के तहत 6 फरवरी को दिल्‍ली सचिवालय चलने के बारे में पोस्‍टर लगाए।




Sunday, February 2, 2014

उद्योग नगर, भीम नगर में मज़दूरों को ६ फरवरी का आह्वान




























"मेहनतकश जन जागो, अपना हक लड़कर मांगो!''




दिल्‍ली, 2 फरवरी। मांगपत्रक आन्‍दोलन के तहत उत्तर-पश्चिमी दिल्‍ली मज़दूर यूनियन और स्‍त्री मज़दूर संगठन ने बादली औद्योगिक क्षेत्र के राजा विहार, सूरजपार्क, संजय कॉलोनी तथा रोहिणी सेक्‍टर 26 और 27 एवं शाहाबाद डेयरी की मज़दूर बस्‍ती के साथ ही नरेला-बवाना औद्योगिक क्षेत्र के बवाना जे.जे. कॉलोनी, मेट्रो विहार, होलंबी कलां, शाहपुर गढ़ी, भोरगढ़, नरेला जे.जे. कॉलोनी में मज़दूर जुटान की गति को तेज कर दिया है। इसी के तहत, आज सुबह शाहाबाद डेयरी के मदर डेयरी चौक पर पर्चा वितरण किया गया। '6 फरवरी को दिल्‍ली सचिवालय चलो' के पर्चे को 'आप' कार्यकर्ताओं ने जलाने की कोशिश की, जिसे अभियान के साथियों और व्‍यापक मज़दूर आबादी ने नाकाम करते हुए मज़दूर एकता ज़ि‍न्‍दाबाद के नारे भी लगाये।

उधर, विरोधी तत्‍वों द्वारा उत्‍तर-पश्चिमी दिल्‍ली में इस आन्‍दोलन के संपर्क केंद्र 'शहीद भगतसिंह पुस्‍तकालय' की खिड़की से रात को पत्‍थर फेंके गए। इससे यह साबित होता है कि मज़दूर हितों से गद्दारी करने वाले तत्‍व हताशा में एक-पर-एक निकृष्‍ट हरकतें  करते जा रहे हैं। दूसरी ओर, ठेका प्रथा खत्‍म करने, न्‍यूनतम मज़दूरी लागू करने, झुग्‍गीवासियों को पक्‍के मकान देने सहित मज़दूरों के हकों की मांगों के प्रति हज़ारों मज़दूरों का समर्थन-सहयोग व्‍यापक से व्‍यापक  होता जा रहा है।  

Saturday, February 1, 2014

मांगपत्रक आंदोलन: बाहरी दिल्‍ली में दीवार-लेखन और जनसभा व पर्चा वितरण जारी

दिल्‍ली, 1 फरवरी  2014। कल रात उत्तर-पश्चिमी दिल्‍ली मज़दूर यूनियन तथा स्‍त्री मज़दूर संगठन मांगपत्रक आंदोलन की ओर से शाहाबाद डेयरी के बी-ब्‍लॉक बस स्‍टॉप के पास तथा सेक्‍टर-26 रोहिणी में दीवार लेखन किया गया तथा 6 फरवरी को मज़दूरों की मांगों के समर्थन में बड़ी संख्‍या में लोगों से 'दिल्‍ली सचिवालय चलो' का पर्चा वितरित किया गया। इसके बाद, आज सुबह शाहाबाद डेयरी के ई-ब्‍लॉक की झुग्‍गी बस्‍ती में प्रचार कार्य, जनसभाएं, पर्चा वितरण करके मांगपत्रक आंदोलन के बारे में बताया गया और एकजुट होकर दिल्‍ली सचिवालय पहुंचने का आह्वान किया गया।
रात को दीवार-लेखन के दौरान कुछ साथी वहां से गुजरने वाले लोगों को दिल्‍ली मांगपत्रक अभियान का पर्चा भी दे रहे थे। आज सुबह जब यूनियन और संगठन के कार्यकर्ता ई-ब्‍लॉक पहुंचे तो झुग्‍गीवासी उनके इर्द-गिर्द इकट्ठा हो गए और अपनी समस्‍याएं बताने लगे। इसके बाद हुई जनसभा में साथियों ने फिर से केजरीवाल के चुनावपूर्व वायदों और चुनाव जीतने के बाद उन पर चुप्‍पी साधने के बारे में बताया। सभा में साथियों ने कहा कि एक महीना बीतने के बाद भी केजरीवाल सरकार ने गरीब  मेहनतकश आबादी के लिए कुछ ठोस नहीं किया। यहां तक कि केजरीवाल सरकार डीटीसी के ठेका कर्मचारियों को नौकरी से हाथ धोने की धमकी देकर काम पर वापस बुला रही है और हवाई वायदे कर रही है। ये सरकार किसी तरह वक्‍त काटने की रणनीति अपना रही है, यदि ऐसा नहीं है तो वह बताए कि वह मज़दूरों से किए गए वायदे कब तक और कैसे पूरा करेगी।
जनसभा और पर्चा-वितरण के बाद मांगपत्रक आंदोलन से जुड़े उत्तर-पश्चिमी दिल्‍ली मज़दूर यूनियन और स्‍त्री मज़दूर संगठन के कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर लोगों बातचीत की और आंदोलन से सहमति जताने वालों के नाम-पते दर्ज किए।