6 फरवरी 2014 को
चलो दिल्ली सचिवालय!
मुख्यमन्त्री अरविन्द केजरीवाल, दिल्ली के मज़दूरों से किये गये वायदे पूरे करो!
साथियो!
अरविन्द
केजरीवाल के नेतृत्व में आम
आदमी पार्टी की सरकार दिल्ली
में बन गयी है। चुनाव से पहले
‘आप’
ने
अपने आपको अन्य चुनावी पार्टियों
से अलग बताते हुए दिल्ली की
जनता से तमाम वायदे किये थे।
अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली
के मज़दूरों से भी कई वायदे
किये और कहा कि अन्य पार्टियों
की तरह वे इन्हें भूलेंगे नहीं
और जवाबदेह रहेंगे। तो हमें
भी इन वायदों की याद दिलाने
के लिए सरकार के दरवाज़े दस्तक
देनी होगी। दिल्ली के मज़दूर
इसी याददिहानी के लिए 6
फरवरी
2014 को
लाखों की तादाद में दिल्ली
सचिवालय पहुचेंगे और मुख्यमन्त्री
केजरीवाल से जवाबदेही लेंगे।
केजरीवाल
ने स्पष्ट शब्दों में ठेका
प्रथा ख़त्म करने,
न्यूनतम
मज़दूरी व आठ घण्टे के कार्यदिवस
समेत सभी श्रम कानूनों का
सख़्ती से पालन करवाने,
इनका
उल्लंघन करने वालों के खि़लाफ़
सख़्त कार्रवाई करने,
सभी
झुग्गीवासियों को पक्के मकान
देने,
रेहड़ी-पटरीवालों
को लाईसेंस व पक्की जगह देने,
सभी
मज़दूरों को साप्ताहिक छुट्टी
सुनिश्चित करने,
सभी
मज़दूरों का ई.एस.आई.
कार्ड
व पी.एफ़.
की
सुविधा सुनिश्चित करने,
असंगठित
क्षेत्र के मज़दूरों के लिए
सामाजिक सुरक्षा की व्यवस्था
करने, लेबर
विभाग में भ्रष्टाचार के
ख़ात्मे और आमूल-चूल
परिवर्तन जैसे कई वायदे किये
हैं। ताज्जुब की बात है कि आज
स्वयं ‘आप’
और
मीडिया इन वायदों पर चुप है!
इस
चुप्पी को तोड़ने के लिए ख़ुद
मज़दूर वर्ग को ही आगे आना होगा।
हम मज़दूरों ने ही दिल्ली को
बनाया है। यहाँ के कारखानों,
होटलों,
दुकानों
में हम ही खटते हैं;
रिक्शे,
ठेले,
रेहड़ी
हम ही खींचते हैं;
घरों
में भी हम ही खटते हैं;
इमारतें,
फ्रलाईओवर
हम ही बनाते हैं। लेकिन इन
सबके बावजूद हमें हमारे कानूनी
हक़ तक नहीं मिलते और हम नारकीय
स्थितियों में जीने को मजबूर
हैं। सरकारी आँकड़ों के मुताबिक
2001 में
ही दिल्ली की मज़दूर आबादी
57 लाख
के करीब थी जो आज अधिक ही होगी।
95 फीसदी
से ज़्यादा मजदूर असंगठित
क्षेत्र में काम करते हैं जहाँ
कोई श्रम कानून लागू नहीं
होता। यह भी तो भ्रष्टाचार
ही है, जो
कि शुरू से ही केजरीवाल की
‘आप’
का
मुख्य मुद्दा है।
दिल्ली
के मज़दूरों का माँगपत्रक
मुख्यमन्त्री
केजरीवाल के इन वायदों के
मद्देनज़र हमें एकजुट होकर
दिल्ली सरकार को याद दिलाना
होगा कि उन्होंने हमसे क्या
वायदे किये थे!
दिल्ली
के मज़दूरों का ‘माँगपत्रक
आन्दोलन’
केजरीवाल
सरकार से माँग करता है किः
1)
निजी
व सरकारी क्षेत्रों में ठेका
प्रथा ख़त्म की जाय।
2)
झुग्गीवासियों
को पक्के मकान देने की समयसीमा
बतायें।
3)
दिल्ली
की समस्त कम्पनियों-कारखानों,
होटलों
व दुकानों में न्यूनतम मज़दूरी,
कार्यस्थल
सुरक्षा समेत सभी श्रम कानूनों
को लागू किया जाय।
4) सभी
मज़दूरों को पहचान कार्ड देना
सभी नियोक्ताओं के लिए अनिवार्य
बनाया जाय।
5)
शहरी
रोज़गार गारण्टी कानून बनाया
जाय जिसके तहत 200
दिनों
के रोज़गार की गारण्टी के साथ
रोज़गार न मिलने की सूरत में
जीवनयापन-योग्य
बेरोज़गारी भत्ता दिया जाय।
6)
भवन-निर्माण
मज़दूरों के लिए ‘सामाजिक
सुरक्षा कार्ड’
त्वरित
गति से बनाये जायें।
7)
दिल्ली
के सभी पटरी,
रेहड़ी,
रिक्शेवालों
को लाईसेंस व पक्की जगह मुहैया
कराने की समयसीमा बतायें।
8)
स्त्री
मज़दूरों के लिए बने श्रम
कानूनों को लागू किया जाय
जिसके तहत उन्हें मिलने वाली
सुविधाएँ तत्काल मुहैया करायी
जायें जैसे कि कार्यस्थल पर
पालनाघर,
शौचालय
आदि।
9)
घरेलू
कामगारों के लिए महाराष्ट्र
की तर्ज पर ‘घरेलू
कामगार कानून’
बनाया
जाय।
10)
मज़दूरों
की शिकायतों के लिए ‘मज़दूर
हेल्पलाइन’
शुरू
की जाय जिस पर शिकायत किये
जाने पर कार्रवाई हेतु विशेष
दस्ते बनाये जायें।
11)
श्रम
कानूनों पर अमल सुनिश्चित
करने के लिए लेबर इंस्पेक्टरों,
फैक्टरी
इंस्पेक्टरों आदि की संख्या
बढ़ायी जाये व हर औद्योगिक
क्षेत्र में एक श्रम न्यायालय
मुहैया कराया जाय।
साथियो!
पहली
बार दिल्ली में किसी सरकार
या मुख्यमन्त्री ने मज़दूरों
से कुछ ठोस वायदे किये हैं।
लेकिन ये सभी वायदे अपने आप
पूरे नहीं हो जायेंगे। हम
मज़दूरों को हमसे किये गये
वायदों की याददिहानी करानी
होगी। क्योंकि बिना जन-दबाव
के शायद ही दिल्ली सरकार ये
वायदे पूरे करे। सरकार ये
वायदे पूरे करके हम पर कोई
अहसान नहीं करेगी,
क्योंकि
ये तो दशकों पहले पूरे हो जाने
चाहिए थे। अगर अब भी हम इन
वायदों को पूरा करवाने के लिए
एकजुट होकर सरकार पर दबाव नहीं
बनाते तो फिर हमारी बदहाली,
ग़रीबी
और तंगहाली के लिए सिर्फ़ हम
जि़म्मेदार होंगे!
6 फरवरी
को दिल्ली के लाखों मज़दूर
दिल्ली सचिवालय पर इकट्ठा हो
रहे हैं। ‘दिल्ली
मज़दूर यूनियन’
आह्वान
करती है कि आप भी इस आन्दोलन
में शामिल हों और इन वायदों
पर केजरीवाल सरकार से अमल
करवायें!
घरों,
झुग्गियों,
बस्तियों,
कारखानों
से निकलो!
चलो
दिल्ली सचिवालय-
सुबह
11 बजे,
6 फरवरी,
2014
बिन
हवा न पत्ता हिलता है!
बिन
लड़े न कुछ भी मिलता है!
दिल्ली
मज़दूर यूनियन
No comments:
Post a Comment