‘आप’ सरकार वायदे से मुकरी, दिल्ली सरकार के
श्रम मन्त्री ने कहा कि ठेका प्रथा विरोधी विधेयक से पूँजीपतियों का
नुकसान, इसलिए केजरीवाल सरकार नहीं पेश करेगी ठेका उन्मूलन विधेयक
करावलनगर मज़दूर यूनियन की शिवानी ने कहा
कि श्रम मन्त्री गिरीश सोनी से वार्ता में आज स्पष्ट हो गया कि केजरीवाल और
उनकी आम आदमी पार्टी को मज़दूरों के वोट चाहिए थे इसलिए ठेका प्रथा
उन्मूलन का वायदा ‘आप’ के चुनावी घोषणापत्र में किया गया था। लेकिन आप की
सरकार बनते ही दिल्ली के सभी उद्योगपति, ठेकेदार आदि जितनी तेज़ी से ‘आप’
की सरकार का समर्थन कर रहे हैं और आम आदमी पार्टी के सदस्य बन रहे हैं, उसी
से पता चलता है कि केजरीवाल सरकार का असली चरित्र क्या है। केजरीवाल सरकार
ठेका प्रथा को ख़त्म न करने के प्रति प्रतिबद्ध है। यह मज़दूरों के साथ
ग़द्दारी है और उनके साथ धोखाधड़ी है। लेकिन आज का प्रदर्शन एक चेतावनी
प्रदर्शन था कि केजरीवाल सरकार आचार संहिता लागू होने से पहले लिखित वायदा
करे कि ठेका प्रथा उन्मूलन विधेयक पेश किया जायेगा, वरना आज दो हज़ार
मज़दूरों ने सचिवालय के दरवाज़े पर दस्तक दी है, लेकिन एक माह बाद दिल्ली
के दसियों हज़ार मज़दूरों को लेकर सचिवालय का गेट जाम किया जायेगा।
उत्तर-पश्चिमी दिल्ली मज़दूर यूनियन की
कविता ने कहा कि 16 मार्च को होली के बाद मजदूरों का एक विशाल हुजूम
केजरीवाल सरकार का घेराव करेगा और उसे ठेका उन्मूलन कानून पेश करवाने के
लिए बाध्य करेगा। दिल्ली के करीब 50 लाख ठेका कर्मचारी इस लड़ाई को जारी
रखेंगे और आज का प्रदर्शन महज़ एक शुरुआत है। माँगपत्रक आन्दोलन आने वाले
समय में लगातार जारी रहेगा और केजरीवाल सरकार अपने वायदों से भाग नहीं
सकेगी। आज के प्रदर्शन में दिल्ली के लगभग सभी औद्योगिक क्षेत्रों से
मज़दूरों के प्रतिनिधि आये हैं। लेकिन अगर हमारी माँगें मानी नहीं जातीं तो
16 मार्च के बाद मज़दूर सत्याग्रह की शुरुआत की जायेगी।
उद्योगनगर मज़दूर यूनियन, पीरागढ़ी से आये
नवीन ने कहा कि उद्योगनगर के मज़दूर यहाँ यह उम्मीद लेकर आये थे कि
केजरीवाल सरकार अपने वायदे के अमल के लिए लिखित आश्वासन देगी। लेकिन इसके
उलट केजरीवाल सरकार आज अपने चुनावी वायदे से ही मुकर गयी और स्पष्ट शब्दों
में केजरीवाल सरकार के श्रम मन्त्री गिरीश सोनी ने कह दिया कि ठेका प्रथा
उन्मूलन कानून नहीं पास कराया जायेगा क्योंकि इससे ठेकेदारों को नुकसान
होगा। इसी से केजरीवाल सरकार की असली पक्षधरता का पता चलता है। वह मज़दूरों
से वायदे सिर्फ़ इसलिए कर रही थी ताकि उनके वोट पा सकें। और सरकार बनते ही
नंगे तौर पर उन वायदों से मुकर रही है। ऐसे में, कांग्रेस, भाजपा और आप
में क्या फ़र्क है मज़दूरों के साथ इसी तरह की धोखाधड़ी पिछले 65 वर्षों
में कांग्रेस और भाजपा की सरकारों ने की है। और अब आम आदमी पार्टी ने साबित
कर दिया है कि वह भी उन्हीं की जमात में शामिल है।
वज़ीरपुर कारखाना मज़दूर यूनियन के सनी ने
कहा कि आम आदमी पार्टी के गुण्डे आज के प्रदर्शन की तैयारियों में लगातार
बाधा डाल रहे थे, मज़दूरों को डरा-धमका रहे थे। सभी औद्योगिक क्षेत्रों में
आप का सदस्य बनने का काम सबसे ज़्यादा कारखाना मालिकों और ठेकेदारों ने
किया है। इन्हीं के गुर्गे आज के प्रदर्शन को असफल बनाने के लिए मज़दूरों
को काम से निकालने आदि की धमकियाँ दे रहे थे। इसके बावजूद इतनी बड़ी तादाद
में मज़दूरों ने पहुँचकर यह साबित किया है कि वह आम आदमी पार्टी के गुर्गों
से डरते नहीं है। इसके बावजूद, आज के प्रदर्शन में केजरीवाल सरकार के रुख़
से साफ़ हो गया है कि उसने मज़दूरों से धोखा करने का मन बना लिया है। इसकी
कीमत आम आदमी पार्टी को आने वाले लोकसभा चुनावों में चुकानी होगी क्योंकि
मज़दूर इस धोखे के बाद आम आदमी पार्टी को कचरापेटी में पहुँचायेगा।
प्रदर्शन के अन्त में, सभी दो हज़ार
मज़दूरों ने एक शपथ ली। इस शपथ के अनुसार दिल्ली के समस्त मज़दूर आम आदमी
पार्टी का पूर्ण बहिष्कार करेंगे, आने वाले चुनावों में अपने इलाकों से आम
आदमी पार्टी के प्रत्याशियों को खदेड़कर बाहर करेंगे, पूरी दिल्ली में
केजरीवाल सरकार के ख़िलाफ़ भण्डाफोड़ अभियान चलाया जायेगा, और 24 मार्च को
दिल्ली के दसियों हज़ार मज़दूरों के साथ सचिवालय का गेट जाम किया जायेगा।
दिल्ली मज़दूर यूनियन के राकेश ने कहा कि 24 मार्च की तिथि आरज़ी तौर पर तय
है। अगर लोकसभा चुनावों के बाद कांग्रेस अपना समर्थन वापस लेती है, तो भी
आम आदमी पार्टी की सरकार जून से पहले नहीं गिर सकती है। ऐसे में, अगले
प्रदर्शन में केजरीवाल सरकार को बाध्य किया जायेगा कि वह अपना वायदा पूरा
करे। अगर एक महीने के भीतर केजरीवाल सरकार दिल्ली मज़दूर यूनियन और दिल्ली
के सभी मज़दूरों को ऐसा विधेयक पेश करने की लिखित प्रतिबद्धता ज़ाहिर नहीं
करती तो अगला प्रदर्शन सचिवालय के गेट को जाम करते हुए किया जायेगा। शाम को
6 बजे धरना समाप्त किया गया। इस प्रदर्शन में दिल्ली मज़दूर यूनियन के
अलावा करावलनगर मज़दूर यूनियन, दिल्ली मेट्रो रेल ठेका कामगार यूनियन,
वज़ीरपुर कारखाना मज़दूर यूनियन, उद्योगनगर मज़दूर यूनियन, मंगोलपुरी
मज़दूर यूनियन, उत्तर-पश्चिमी दिल्ली मज़दूर यूनियन, और स्त्री मज़दूर
संगठन ने भागीदारी की।